ऐ परी-ज़ाद कुछ तो बता ये भी क्या क़र्या-ए-क़ाफ़ का भेद है

By abid-razaFebruary 17, 2025
ऐ परी-ज़ाद कुछ तो बता ये भी क्या क़र्या-ए-क़ाफ़ का भेद है
तेरी कोमल हथेली पे सेल-फ़ोन रौशन है या जाम-ए-जमशेद है
चश्म-ए-हैराँ में आशुफ़्तगी से मुरादों भरी रात ढलने लगी
इक सितारा चमकता है या आसमाँ की रिदा में कोई छेद है


कोह-ए-अलबुर्ज़ पर रन पड़ा जाने कब से है वीराँ बहिश्त-ए-बरीँ
सैर के वास्ते अब फ़क़त बाग़-ए-शीराज़ है तख़्त-ए-जमशेद है
वस्ल की बारिशों में घना बेद-ए-मजनूँ कि सर-सब्ज़-ओ-शादाब था
हिज्र में अब तो लाग़र बदन जैसे कोई लरज़ता हुआ बेद है


नस्ल-दर-नस्ल मिलते कहाँ ख़ाल-ओ-ख़द चश्म-ओ-रुख़्सार के सिलसिले
पर ये क़ुदरत की मश्शातगी जीनियाती करामत का इक भेद है
12713 viewsghazalHindi