ऐसा करते हैं सुब्ह टालते हैं
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ऐसा करते हैं सुब्ह टालते हैं
दिन किसी और दिन निकालते हैं
वैसे ख़ुद को भी थाम लें तो बहुत
पी के सारा जहाँ सँभालते हैं
हम को वापस करें हमारा गुलाब
भीड़ की सम्त क्यों उछालते हैं
मिल ही जाती है कोई काम की शय
बैठ के ख़ुद को जब खँगालते हैं
वापसी का कोई इरादा नहीं
यूँ भी सब वापसी पे टालते हैं
दिन किसी और दिन निकालते हैं
वैसे ख़ुद को भी थाम लें तो बहुत
पी के सारा जहाँ सँभालते हैं
हम को वापस करें हमारा गुलाब
भीड़ की सम्त क्यों उछालते हैं
मिल ही जाती है कोई काम की शय
बैठ के ख़ुद को जब खँगालते हैं
वापसी का कोई इरादा नहीं
यूँ भी सब वापसी पे टालते हैं
95800 viewsghazal • Hindi