ऐसा नहीं किसी से मोहब्बत नहीं हमें

By shahnaz-naqviMarch 1, 2021
ऐसा नहीं किसी से मोहब्बत नहीं हमें
पर क्या करें कि शौक़-ए-वज़ाहत नहीं हमें
इस तरह खो गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी में हम
फूलों को देखने की भी फ़ुर्सत नहीं हमें


कितने मकान हम ने तो ता'मीर कर लिए
और उन को घर बनाने की चाहत नहीं हमें
यूँ बंद हो गए हैं दरीचे भी सोच के
अब तो किसी से कोई शिकायत नहीं हमें


महसूस जो करें वही कहते हैं बरमला
कुछ दिल में बात रखने की आदत नहीं हमें
तेरा ख़याल दिल में समाया है इस तरह
कुछ और सोचने की ज़रूरत नहीं हमें


ग़म और ख़ुशी तो 'नाज़' मुक़द्दर का खेल है
शिकवा किसी से करने की आदत नहीं हमें
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