ऐसी कहाँ उतरी है कोई शाम मिरी जान
By aasnath-kanwalApril 21, 2024
ऐसी कहाँ उतरी है कोई शाम मिरी जान
अश्जार पे लिखा है तिरा नाम मेरी जान
कटते हैं कहाँ एक से दिन रात ये मौसम
है ज़ीस्त भी इक हसरत-ए-नाकाम मिरी जान
खेतों में कहाँ उगते हैं लफ़्ज़ों के मरासिम
हर्फ़ों की तिजारत में गए नाम मिरी जान
मुझ को नहीं पहुँची तिरी ख़ुशबू तो करूँ क्या
बे-शक तू रहे लाला-ओ-गुलफ़ाम मिरी जान
हर गाम त'अल्लुक़ की सलीबों पे चढ़े हैं
छुटता ही नहीं ज़ात का हंगाम मिरी जान
मिट जाएँगे सब रंज-ओ-अलम क़ुर्ब से तेरे
भेजा है तुझे प्यार का पैग़ाम मिरी जान
पलकों पे धरे ख़्वाबों के लाशे न उठाना
है आस यही 'इश्क़ का अंजाम मिरी जान
अश्जार पे लिखा है तिरा नाम मेरी जान
कटते हैं कहाँ एक से दिन रात ये मौसम
है ज़ीस्त भी इक हसरत-ए-नाकाम मिरी जान
खेतों में कहाँ उगते हैं लफ़्ज़ों के मरासिम
हर्फ़ों की तिजारत में गए नाम मिरी जान
मुझ को नहीं पहुँची तिरी ख़ुशबू तो करूँ क्या
बे-शक तू रहे लाला-ओ-गुलफ़ाम मिरी जान
हर गाम त'अल्लुक़ की सलीबों पे चढ़े हैं
छुटता ही नहीं ज़ात का हंगाम मिरी जान
मिट जाएँगे सब रंज-ओ-अलम क़ुर्ब से तेरे
भेजा है तुझे प्यार का पैग़ाम मिरी जान
पलकों पे धरे ख़्वाबों के लाशे न उठाना
है आस यही 'इश्क़ का अंजाम मिरी जान
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