'अजीब तरह का मौसम रहा है आँखों में
By ahmad-kamal-hashmiMay 24, 2024
'अजीब तरह का मौसम रहा है आँखों में
बदन का सारा लहू जम रहा है आँखों में
कोई भी ज़ख़्म हो रोने से हल्का होता है
हर एक ज़ख़्म का मरहम रहा है आँखों में
ये पंछी अपना नशेमन बदलता रहता है
कभी तो दिल में कभी ग़म रहा है आँखों में
मैं आँसुओं को तबर्रुक समझ के पीता हूँ
छुपा हुआ कहीं ज़मज़म रहा है आँखों में
'अजब नहीं है कि कल बाँध टूट ही जाए
अभी तो सैल-ए-बला थम रहा है आँखों में
किसी की दीद का लम्हा गुज़र चुका कब का
अभी भी जश्न का 'आलम रहा है आँखों में
जो दिल में हो वो हमेशा दिखाई देता है
वो दूर रह के भी पैहम रहा है आँखों में
दिखाई देती है हर शय मुझे हसीन 'कमाल'
किसी के हुस्न का एल्बम रहा है आँखों में
बदन का सारा लहू जम रहा है आँखों में
कोई भी ज़ख़्म हो रोने से हल्का होता है
हर एक ज़ख़्म का मरहम रहा है आँखों में
ये पंछी अपना नशेमन बदलता रहता है
कभी तो दिल में कभी ग़म रहा है आँखों में
मैं आँसुओं को तबर्रुक समझ के पीता हूँ
छुपा हुआ कहीं ज़मज़म रहा है आँखों में
'अजब नहीं है कि कल बाँध टूट ही जाए
अभी तो सैल-ए-बला थम रहा है आँखों में
किसी की दीद का लम्हा गुज़र चुका कब का
अभी भी जश्न का 'आलम रहा है आँखों में
जो दिल में हो वो हमेशा दिखाई देता है
वो दूर रह के भी पैहम रहा है आँखों में
दिखाई देती है हर शय मुझे हसीन 'कमाल'
किसी के हुस्न का एल्बम रहा है आँखों में
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