अना पे ज़ुल्म किया है मुझे नदामत है
By asim-qamarFebruary 25, 2024
अना पे ज़ुल्म किया है मुझे नदामत है
मिरा सुकून तिरा मुंतज़िर है ला'नत है
मुझे ये रूह से मिलने का ढोंग नईं करना
मिरे बदन को तिरे लम्स की ज़रूरत है
वहाँ वहाँ पे मिरा ख़त ज़रूर छू लेना
जहाँ-जहाँ पे नमी की कोई 'अलामत है
किसी से मिल न सको तो ख़ुदा का शुक्र करो
किसी से मिल के बिछड़ना बड़ी अज़िय्यत है
मिरा सुकून तिरा मुंतज़िर है ला'नत है
मुझे ये रूह से मिलने का ढोंग नईं करना
मिरे बदन को तिरे लम्स की ज़रूरत है
वहाँ वहाँ पे मिरा ख़त ज़रूर छू लेना
जहाँ-जहाँ पे नमी की कोई 'अलामत है
किसी से मिल न सको तो ख़ुदा का शुक्र करो
किसी से मिल के बिछड़ना बड़ी अज़िय्यत है
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