अपने दिल पर ही नहीं है मुझे क़ाबू बोलो
By aarif-nazeerJuly 28, 2024
अपने दिल पर ही नहीं है मुझे क़ाबू बोलो
तुम ने कर तो नहीं रक्खा कोई जादू बोलो
जितनी प्यारी तिरी आँखें हैं तिरा लहजा है
सिर्फ़ इतना ही कहूँगा तुझे उर्दू बोलो
दिल जिगर जिस से हो घायल ये वही आला है
अपनी नज़रों को नज़र तुम नहीं चाक़ू बोलो
अब वो तहज़ीब-ओ-तमद्दुन कहीं मदफ़ून हुई
इस सलीक़े से मिरी जान न उर्दू बोलो
अपने दामन में समो लेते हो जिस को 'आरिफ़'
वो लहू होता है दिल का मगर आँसू बोलो
तुम ने कर तो नहीं रक्खा कोई जादू बोलो
जितनी प्यारी तिरी आँखें हैं तिरा लहजा है
सिर्फ़ इतना ही कहूँगा तुझे उर्दू बोलो
दिल जिगर जिस से हो घायल ये वही आला है
अपनी नज़रों को नज़र तुम नहीं चाक़ू बोलो
अब वो तहज़ीब-ओ-तमद्दुन कहीं मदफ़ून हुई
इस सलीक़े से मिरी जान न उर्दू बोलो
अपने दामन में समो लेते हो जिस को 'आरिफ़'
वो लहू होता है दिल का मगर आँसू बोलो
24337 viewsghazal • Hindi