अपने ही दिल की बात से महका गया हूँ मैं

By aadil-aseer-dehlviJanuary 1, 2025
अपने ही दिल की बात से महका गया हूँ मैं
अपने ही रूह-ओ-जिस्म में घुलता गया हूँ मैं
ऐसी ही कुछ कशिश है जो हूँ फ़र्श-ए-ख़ाक पर
वर्ना बुलंदियों से भी ऊँचा गया हूँ मैं


ऐ 'इश्क़ राह-ए-दोस्त है दुश्वार-तर बहुत
या'नी निगाह-ए-नाज़ में आया गया हूँ मैं
हर चेहरा आइना है निगाहों के सामने
हर आइने के क़ल्ब में देखा गया हूँ मैं


मक़्सद हर इक निगाह का मेरी नज़र में था
क्या क्या फ़रेब-ए-दोस्त हैं बतला गया हूँ मैं
फिर कोई बात मेरी सबा ले के उड़ गई
ख़ुशबू की तरह फूलों से उड़ता गया हूँ मैं


या तो तिरे शबाब को पहुँची नहीं नज़र
या वुस'अत-ए-ख़याल से घबरा गया हूँ मैं
हर इब्तिदाई मरहला पेश-ए-नज़र भी था
क्या है मआल-ए-'इश्क़ ये समझा गया हूँ मैं


अश'आर मेरे तेरे तसव्वुर का जज़्ब हैं
जैसे तिरे ख़याल से मिलता गया हूँ मैं
59332 viewsghazalHindi