अपने तख़य्युलात का नक़्शा निकाल के

By adeeb-damohiMay 21, 2024
अपने तख़य्युलात का नक़्शा निकाल के
ग़ज़लें कहीं हैं ख़ून पसीना निकाल के
घर को किया था साफ़ किसी का मिटा के घर
अफ़्सोस कर रहा हूँ मैं जाला निकाल के


तुम को क़लंदरी की है दिल में जो आरज़ू
रखनी पड़ेगी दिल से ये दुनिया निकाल के
अब उस की असलियत है ज़माना के सामने
चेहरे से उस ने रख दिया चेहरा निकाल के


मौजों से लड़ना उस की थी 'आदत इसी लिए
वो आ गया किनारे पे रस्ता निकाल के
दिल बुझते बुझते मेरा अचानक चमक उठा
ये कौन खींच लाया उजाला निकाल के


आँखें तरेरते हुए वो देखते हैं अब
रख्खा था जिन को अपना कलेजा निकाल के
पूछो न बे-ज़मीरों से कैसे बचे 'अदीब'
ले आए अपने आप को ज़िंदा निकाल के


73779 viewsghazalHindi