असर दु'आ में नहीं तिश्ना सारे ख़्वाब रहे

By shahzad-niazFebruary 29, 2024
असर दु'आ में नहीं तिश्ना सारे ख़्वाब रहे
रक़ीब ने कहा आमीन मुस्तजाब रहे
वो जिन के क़ुर्ब की ख़्वाहिश रही हमेशा से
'अदू को रोज़ ही पहरों वो दस्तयाब रहे


न जो हमें पस-ए-चिलमन कभी दिखाई दिए
सदा वो सामने ग़ैरों के बे-हिजाब रहे
वो जिन की राह में पलकें बिछाई थीं हम ने
तमाम जौर-ओ-सितम हम पे बे-हिसाब रहे


न-जाने बद-दु'आ 'शहज़ाद' किस ने दी हम को
तमाम 'उम्र ही ग़म अपने हम-रिकाब रहे
52438 viewsghazalHindi