अश्क से दरिया हुआ दरिया से तूफ़ाँ हो गया

By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
अश्क से दरिया हुआ दरिया से तूफ़ाँ हो गया
कश्ती-ए-‘उम्र-ए-रवाँ का साज़-ओ-सामाँ हो गया
फ़स्ल-ए-गुल में दिल की वहशत का जो सामाँ हो गया
चाक दामन हो गया पुर्ज़े गरेबाँ हो गया


दफ़'अतन उस ने रुख़-ए-रौशन से जब उल्टी नक़ाब
एक मेरी बात क्या 'आलम भी हैराँ हो गया
यूँ बज़ाहिर बर्क़ की पूरी हुई ख़्वाहिश मगर
आशियाना जल के ख़ुद गुलशन पे क़ुर्बां हो गया


अब रिहाई की कोई सूरत नज़र आती नहीं
मुर्ग़-ए-दिल मेरा असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ हो गया
रंज-ओ-ग़म दर्द-ओ-अलम 'साक़ी' ने अपने दे दिए
मेरी ख़ातिर ख़ूब आसाइश का सामाँ हो गया


91945 viewsghazalHindi