बा-अदब क़ीमती सामान में रक्खा जाए

By samar-khanabadoshFebruary 28, 2024
बा-अदब क़ीमती सामान में रक्खा जाए
उस का ख़त रेशमी जुज़दान में रक्खा जाए
उस का इक जुर्म है और वो भी फ़क़त तर्क-ए-वफ़ा
उस का हक़ है कि उसे ध्यान में रक्खा जाए


बस यही सोच के थामा था किसी का दामन
फूल अच्छा हो तो गुलदान में रक्खा जाए
मैं मोहब्बत को 'इबादत की जगह रखता हूँ
मुझ से मुजरिम को तो ज़िंदान में रक्खा जाए


उस की यादों से कशीदूँगा नया रिज़्क-ए-सुख़न
मुझ को सरगर्दां बयाबान में रक्खा जाए
मैं तो इस दिल से परेशाँ हूँ मिरे 'ख़ाना-ब-दोश'
दूसरा दिल तन-ए-बे-जान में रक्खा जाए


52700 viewsghazalHindi