बात करते थे और पत्थर थे

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
बात करते थे और पत्थर थे
लोग बाहर नहीं थे अन्दर थे
पीछे-पीछे जो चल रहे थे मिरे
वो तमाशाई थे कि बे-घर थे


सारा घर सो रहा था आँगन में
कैसे तर्तीब-वार बिस्तर थे
रात छोटी बड़ी तो होती थी
ख़्वाब सब नींद के बराबर थे


ये तो लिखने को मुझ से छूट गया
बीच में जंग के भी मंज़र थे
95311 viewsghazalHindi