बदन की सरहद पे बारिशों की झड़ी लगी है 'अजब घड़ी है

By abid-razaFebruary 17, 2025
बदन की सरहद पे बारिशों की झड़ी लगी है 'अजब घड़ी है
तिलिस्म टूटा फ़सील-ए-इम्कान गिर पड़ी है 'अजब घड़ी है
ग़दर पड़ा है गुज़रती सा'अत हज़ार यादें उधेड़ती है
मैं क्या बताऊँ यहाँ तो दिल्ली उजड़ चुकी है 'अजब घड़ी है


ज़मीं पे रोबोट अपने आँसू का ज़ाइक़ा तक बता रहे हैं
मशीन-ज़ादों पे क्या करामत उतर रही है 'अजब घड़ी है
कोई जवाँ फिर जला रहा है ख़ुदाई आतिश-कदे से मश'अल
ज़मीं की हरकत से आसमानों में खलबली है 'अजब घड़ी है


जहान-ए-हैरत-सरा में मोहलत कहाँ किसी को नसीब होवे
अजल-गिरफ़्ता हयात सर पे खड़ी हुई है 'अजब घड़ी है
वुजूद अपनी शिकस्तगी को फ़ना की चक्की में पीस्ता है
'अदम-नवर्दों ने मौत की सिम्फ़नी सुनी है 'अजब घड़ी है


फ़ना के अंधे कुएँ में कोई तिलिस्म ऐसा भी जल्वा-गर है
कि ज़िंदगी की परी भी उस में उतर रही है 'अजब घड़ी है
रिवाक़-ए-बसरा की शम्अ-ए-ईमाँ से बाग़-ए-जन्नत सुलग उठा है
यक़ीं की बारिश ने आग दोज़ख़ की सर्द की है 'अजब घड़ी है


तमाश-बीनो सराब-ए-हस्ती को चश्म-ए-हैरत में तोलते हो
मुझे बताओ ये ज़िंदगी है कि फुलझड़ी है 'अजब घड़ी है
64556 viewsghazalHindi