बहुत दिनों से यहीं हो 'अजीब आदमी हो
By abid-razaFebruary 17, 2025
बहुत दिनों से यहीं हो 'अजीब आदमी हो
इसी ज़मीं के मकीं हो 'अजीब आदमी हो
अभी तलक यही उलझन कि इस ख़राबे में
न-जाने हो कि नहीं हो 'अजीब आदमी हो
कभी मिलो तो बताना ज़रा तसल्ली से
गुमान हो कि यक़ीं हो 'अजीब आदमी हो
है इक जहान-ए-'अदम और इस वुजूद के साथ
इसी जहाँ में कहीं हो 'अजीब आदमी हो
उठी सदा-ए-अनल-हक़ वरीद-ए-जाँ के क़रीब
सुना है तुम भी वहीं हो 'अजीब आदमी हो
सब अपने आप में महसूर हो गए हैं यहाँ
तुम अपने घर में नहीं हो 'अजीब आदमी हो
इसी ज़मीं के मकीं हो 'अजीब आदमी हो
अभी तलक यही उलझन कि इस ख़राबे में
न-जाने हो कि नहीं हो 'अजीब आदमी हो
कभी मिलो तो बताना ज़रा तसल्ली से
गुमान हो कि यक़ीं हो 'अजीब आदमी हो
है इक जहान-ए-'अदम और इस वुजूद के साथ
इसी जहाँ में कहीं हो 'अजीब आदमी हो
उठी सदा-ए-अनल-हक़ वरीद-ए-जाँ के क़रीब
सुना है तुम भी वहीं हो 'अजीब आदमी हो
सब अपने आप में महसूर हो गए हैं यहाँ
तुम अपने घर में नहीं हो 'अजीब आदमी हो
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