बहुत मुमकिन था हम दो जिस्म और इक जान हो जाते

By farhat-ehsasOctober 29, 2020
बहुत मुमकिन था हम दो जिस्म और इक जान हो जाते
मगर दो जिस्म सिर्फ़ इक जान से हलकान हो जाते
तुम आते तो दिलों से खेलने का शौक़ था तुम को
तो मेरे जिस्म-ओ-जाँ उस खेल का मैदान हो जाते


हम उस के वस्ल के चक्कर में ग़ारत हो गए आख़िर
किया होता जो हिज्र अच्छे-भले इंसान हो जाते
92832 viewsghazalHindi