बना के ख़ुद को मोहब्बत में बा-वफ़ा रखिए
By abdullah-minhaj-khanMay 18, 2024
बना के ख़ुद को मोहब्बत में बा-वफ़ा रखिए
ग़मों का दौर भी आए तो हौसला रखिए
ख़ुलूस-ए-क़ल्ब से मिलिए हर एक से लेकिन
त'अल्लुक़ात में थोड़ा सा फ़ासला रखिए
तरक़्क़ियों की बुलंदी पे आप रहिए मगर
सभी से मिलने मिलाने का सिलसिला रखिए
किसी पे उँगली उठाने से पहले बेहतर है
ख़ुद अपने चेहरे के आगे इक आइना रखिए
अगरचे हश्र की रुस्वाइयों से बचना है
बना के ख़ुद को ज़माने में पारसा रखिए
सितम के दौर में जीने के वास्ते 'मिनहाज'
नज़र के सामने मैदान-ए-कर्बला रखिए
ग़मों का दौर भी आए तो हौसला रखिए
ख़ुलूस-ए-क़ल्ब से मिलिए हर एक से लेकिन
त'अल्लुक़ात में थोड़ा सा फ़ासला रखिए
तरक़्क़ियों की बुलंदी पे आप रहिए मगर
सभी से मिलने मिलाने का सिलसिला रखिए
किसी पे उँगली उठाने से पहले बेहतर है
ख़ुद अपने चेहरे के आगे इक आइना रखिए
अगरचे हश्र की रुस्वाइयों से बचना है
बना के ख़ुद को ज़माने में पारसा रखिए
सितम के दौर में जीने के वास्ते 'मिनहाज'
नज़र के सामने मैदान-ए-कर्बला रखिए
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