बराबर जिस्म को धमका रही है
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
बराबर जिस्म को धमका रही है
हमारी मौत कह कर आ रही है
चलो थोड़ा बहुत तो सो लिए हम
मगर अब और सुस्ती छा रही है
मोहल्ले भर की ख़ामोशी का मतलब
मिरी आवाज़ बाहर जा रही है
उदासी कर रही है अपना 'आदी
अभी शर्तें नहीं मनवा रही है
समझ लो हो चुका है काम आसाँ
अगर वो मुश्किलें गिनवा रही है
जिसे नादान समझा था वो लड़की
बड़ी मुश्किल से धोका खा रही है
हमीं इस जंग को हारे नहीं हैं
तुम्हारी सल्तनत भी जा रही है
हमारी मौत कह कर आ रही है
चलो थोड़ा बहुत तो सो लिए हम
मगर अब और सुस्ती छा रही है
मोहल्ले भर की ख़ामोशी का मतलब
मिरी आवाज़ बाहर जा रही है
उदासी कर रही है अपना 'आदी
अभी शर्तें नहीं मनवा रही है
समझ लो हो चुका है काम आसाँ
अगर वो मुश्किलें गिनवा रही है
जिसे नादान समझा था वो लड़की
बड़ी मुश्किल से धोका खा रही है
हमीं इस जंग को हारे नहीं हैं
तुम्हारी सल्तनत भी जा रही है
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