बर्फ़ पिघले कि ज़रा रास्ता होने लग जाए

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
बर्फ़ पिघले कि ज़रा रास्ता होने लग जाए
धूप मल कर मिरे एहसास से रोने लग जाए
कोई मंज़र कोई तस्वीर बने आँखों में
कोई बादल मिरी दीवार भिगोने लग जाए


दिल की धड़कन भी सुनाई नहीं देती अब के
तेरी याद आए कोई चीज़ चुभोने लग जाए
ऐसी सर्दी है कि इस बार मिरे हाथों से
डर रहा हूँ कि तिरा लम्स न खोने लग जाए


या तो अब ख़त्म हो बहते हुए पानी का सफ़र
या कोई मौज मिरी नाव डुबोने लग जाए
56085 viewsghazalHindi