बस गई दिल में किस की रा'नाई
By khalilur-rahman-azmiFebruary 27, 2024
बस गई दिल में किस की रा'नाई
आज तक मिल सकी न तन्हाई
बारहा तेरे ना-मुरादों को
मौत आवाज़ दे के पछताई
ऐसी रातें भी हम पे गुज़री हैं
तेरे पहलू में तेरी याद आई
जिस जगह जा के फिर क़दम न उठें
वहीं ले चल हवा-ए-सहराई
दोस्तो मुझ को संगसार करो
अब भी उस बुत का हूँ मैं सौदाई
मुझ से सरकश का सर जहाँ झुक जाए
उस को ज़ेबा है नाज़-ए-यकताई
वही दुनिया में इक हसीन नहीं
फिर भी मत पूछ उस की ज़ेबाई
दिल मिटा भी तो सादगी पे मिटा
हाए रंगीनियों के शैदाई
आज तक मिल सकी न तन्हाई
बारहा तेरे ना-मुरादों को
मौत आवाज़ दे के पछताई
ऐसी रातें भी हम पे गुज़री हैं
तेरे पहलू में तेरी याद आई
जिस जगह जा के फिर क़दम न उठें
वहीं ले चल हवा-ए-सहराई
दोस्तो मुझ को संगसार करो
अब भी उस बुत का हूँ मैं सौदाई
मुझ से सरकश का सर जहाँ झुक जाए
उस को ज़ेबा है नाज़-ए-यकताई
वही दुनिया में इक हसीन नहीं
फिर भी मत पूछ उस की ज़ेबाई
दिल मिटा भी तो सादगी पे मिटा
हाए रंगीनियों के शैदाई
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