बस्ती बुरी नहीं ये हमारे क़यास में
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
बस्ती बुरी नहीं ये हमारे क़यास में
अच्छी हैं लड़कियाँ भी यहाँ आस-पास में
वहशत में कुछ ज़ियादा ही छलका दिया उसे
पूरा ढला नहीं वो हमारे गिलास में
हर वक़्त ज़िंदगी का उड़ाते भी हैं मज़ाक़
और ढेर सी दवाएँ भी रखते हैं पास में
इस मौत की महक को छुपाएँ तो किस तरह
काफ़ूर की बसी है हमारे लिबास में
बे-ख़ौफ़ मिल कि अब कोई ख़तरा नहीं रहा
ठहराव आ गया है तिरे देवदास में
मुद्दत के बा'द सहरा पे छाया था कोई अब्र
घबरा गए जो थोड़ी कमी आई प्यास में
अच्छी हैं लड़कियाँ भी यहाँ आस-पास में
वहशत में कुछ ज़ियादा ही छलका दिया उसे
पूरा ढला नहीं वो हमारे गिलास में
हर वक़्त ज़िंदगी का उड़ाते भी हैं मज़ाक़
और ढेर सी दवाएँ भी रखते हैं पास में
इस मौत की महक को छुपाएँ तो किस तरह
काफ़ूर की बसी है हमारे लिबास में
बे-ख़ौफ़ मिल कि अब कोई ख़तरा नहीं रहा
ठहराव आ गया है तिरे देवदास में
मुद्दत के बा'द सहरा पे छाया था कोई अब्र
घबरा गए जो थोड़ी कमी आई प्यास में
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