बयाँ में तेरे हर तर्ज़-ए-बयाँ गुम

By anjum-rumaniOctober 25, 2020
बयाँ में तेरे हर तर्ज़-ए-बयाँ गुम
फ़साने में मिरे हर दास्ताँ गुम
न हम गुम हैं न तेरा आस्ताँ गुम
मगर कुछ सिलसिला है दरमियाँ गुम


अजब अंदाज़-ए-अज़-ख़ुद-रफ़्तगी है
भरी महफ़िल में सब के दरमियाँ गुम
रही सहरा-ब-सहरा तेरी मंज़िल
हुए मंज़िल-ब-मंज़िल कारवाँ गुम


रवाना कारवाँ सालार नापैद
सफ़ीना बाद-ए-पैमा बादबाँ गुम
क़रीब-ओ-दूर वहम-ए-ना-रसाई
कभी मंज़िल कभी ख़ुद कारवाँ गुम


हुए 'अंजुम' सहर की जुस्तुजू में
मिसाल-ए-लुक्का-ए-अब्र-ए-रवाँ गुम
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