बाज़ार में इक हम ही ज़रूरत के नहीं थे
By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
बाज़ार में इक हम ही ज़रूरत के नहीं थे
बिकते भी तो कैसे किसी क़ीमत के नहीं थे
हम एक ही मा'बूद रखा करते थे जब तक
हम में कभी झगड़े क़द-ओ-क़ामत के नहीं थे
इल्हाम से इक ख़ास त'अल्लुक़ था हमारा
हम लोग मगर 'अह्द-ए-नबुव्वत के नहीं थे
इस बार ही क्यों टूट गए उस से बिछड़ कर
इस बार तो रिश्ते भी मोहब्बत के नहीं थे
उस ने तो कई बार क़दम घर से निकाले
हम में ही जरासीम बग़ावत के नहीं थे
बिकते भी तो कैसे किसी क़ीमत के नहीं थे
हम एक ही मा'बूद रखा करते थे जब तक
हम में कभी झगड़े क़द-ओ-क़ामत के नहीं थे
इल्हाम से इक ख़ास त'अल्लुक़ था हमारा
हम लोग मगर 'अह्द-ए-नबुव्वत के नहीं थे
इस बार ही क्यों टूट गए उस से बिछड़ कर
इस बार तो रिश्ते भी मोहब्बत के नहीं थे
उस ने तो कई बार क़दम घर से निकाले
हम में ही जरासीम बग़ावत के नहीं थे
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