बे-ख़याली की रिदा दूर तलक तानी है

By abbas-qamarDecember 16, 2024
बे-ख़याली की रिदा दूर तलक तानी है
अब तो ये भी नहीं लगता कि परेशानी है
सर्द मौसम में भड़क उट्ठी है तन्हाई की आग
जो बढ़ा देती है मुश्किल वही आसानी है


आब-ए-गिर्या से है दीदार की सूरत पैदा
देखिए ग़ौर से आँख आँख नहीं पानी है
मैं तो एहसास की तस्वीर बना बैठा हूँ
रौनक़-ए-बज़्म-ए-तसव्वुर मिरी हैरानी है


ये जो दुनिया है ये दुनिया की बनाई हुई है
आदमी क्या है नज़रियात की शैतानी है
ये ग़ज़ल सुन के कहेंगे ‘क़मर-अब्बास-क़मर'
यार 'अब्बास-क़मर' तुम ने 'अजब ठानी है


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