बे-मौसम की बारिश में दुनिया जल-थल हो जाए
By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
बे-मौसम की बारिश में दुनिया जल-थल हो जाए
अपना दुख कह दूँ तो पत्थर भी पागल हो जाए
मेरी रगों में फैल रहा है महरूमी का ज़ह्र
जिस दरिया पर जान लुटाऊँ वो बादल हो जाए
अपने लिए तो एक से हैं सब ख़ित्ते दुनिया के
जिस धरती पर पाँव रखें हम वो दलदल हो जाए
हम को है औक़ात मोहज़्ज़ब लोगों की मा'लूम
एक दरिंदा जब चाहे बस्ती जंगल हो जाए
अपना दुख कह दूँ तो पत्थर भी पागल हो जाए
मेरी रगों में फैल रहा है महरूमी का ज़ह्र
जिस दरिया पर जान लुटाऊँ वो बादल हो जाए
अपने लिए तो एक से हैं सब ख़ित्ते दुनिया के
जिस धरती पर पाँव रखें हम वो दलदल हो जाए
हम को है औक़ात मोहज़्ज़ब लोगों की मा'लूम
एक दरिंदा जब चाहे बस्ती जंगल हो जाए
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