बे-रुख़ है वो परी दिल-ए-दीवाना क्या करे
By pandit-daya-shankar-naseem-lakhnaviNovember 12, 2020
बे-रुख़ है वो परी दिल-ए-दीवाना क्या करे
रो रो के आँख भरती है पैमाना क्या करे
दस्त-ओ-ज़बान-ओ-दीदा-ओ-दिल देती हैं दुआ
करते हैं वो यगाने कि बेगाना क्या करे
कहता ही मुर्ग़-ए-दिल से वो हाल-ए-म्यान-ए-ख़त
सब्ज़ा जो दाम हो तो उसे दाना क्या करे
बेबस किया है मुझ को सर-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार ने
ज़ंजीर पाँव में हो तो दीवाना क्या करे
जादू है आँख सुर्मा न क्यूँ-कर रहे ख़मोश
सरकश ही ज़ुल्फ़ काँधे न दे शाना क्या करे
दिल को न दाग़ दीजिए बोसे की चाट पर
जो बेचता न होवे वो बैआ'ना क्या करे
रो रो के आँख भरती है पैमाना क्या करे
दस्त-ओ-ज़बान-ओ-दीदा-ओ-दिल देती हैं दुआ
करते हैं वो यगाने कि बेगाना क्या करे
कहता ही मुर्ग़-ए-दिल से वो हाल-ए-म्यान-ए-ख़त
सब्ज़ा जो दाम हो तो उसे दाना क्या करे
बेबस किया है मुझ को सर-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार ने
ज़ंजीर पाँव में हो तो दीवाना क्या करे
जादू है आँख सुर्मा न क्यूँ-कर रहे ख़मोश
सरकश ही ज़ुल्फ़ काँधे न दे शाना क्या करे
दिल को न दाग़ दीजिए बोसे की चाट पर
जो बेचता न होवे वो बैआ'ना क्या करे
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