बे-सबब इश्क़ कब उदास रहा

By ehsas-muradabadiOctober 29, 2020
बे-सबब इश्क़ कब उदास रहा
वो तुम्हारा अदा-शनास रहा
ज़िंदगी-भर ख़ुदी का पास रहा
इश्क़ कब महव-ए-इल्तिमास रहा


हर फ़साना जो कह चुकी दुनिया
मेरे ग़म का ही इक़्तिबास रहा
जामा-ज़ेबी ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ रही
इश्क़ हर शख़्स का लिबास रहा


तुम से जब क़ुर्बतें मयस्सर थीं
दिल तो उस वक़्त भी उदास रहा
ग़म का पैमाना ख़ुद बता देगा
कौन कितना तुम्हारे पास रहा


उन को मुझ से हज़ार दूरी थी
मैं तो 'एहसास' उन के पास रहा
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