बीच-बचाव करने बाहर जाया जाए
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
बीच-बचाव करने बाहर जाया जाए
दीवारों से कब तक झगड़ा देखा जाए
इक मैं हूँ बस 'आम सा क़ैदी क्या मेरी
इक वो है जो तेरे हाथों पकड़ा जाए
साथ सफ़र करने में कोई हर्ज नहीं है
लेकिन मंज़र अपना अपना देखा जाए
चारागर भी तू है मेरा क़ातिल भी तू
पहले तेरे किस चेहरे को रोया जाए
सबसे ज़ियादा इतराए जो 'इश्क़ पे अपने
उस को दुनिया-दार बना कर मारा जाए
सहरा का वारिस होना तो ठीक है लेकिन
इस कमरे को किस के भरोसे छोड़ा जाए
दीवारों से कब तक झगड़ा देखा जाए
इक मैं हूँ बस 'आम सा क़ैदी क्या मेरी
इक वो है जो तेरे हाथों पकड़ा जाए
साथ सफ़र करने में कोई हर्ज नहीं है
लेकिन मंज़र अपना अपना देखा जाए
चारागर भी तू है मेरा क़ातिल भी तू
पहले तेरे किस चेहरे को रोया जाए
सबसे ज़ियादा इतराए जो 'इश्क़ पे अपने
उस को दुनिया-दार बना कर मारा जाए
सहरा का वारिस होना तो ठीक है लेकिन
इस कमरे को किस के भरोसे छोड़ा जाए
28354 viewsghazal • Hindi