बिछड़ के तुझ से जो हम जान से जुदा हुए हैं

By salim-saleemFebruary 28, 2024
बिछड़ के तुझ से जो हम जान से जुदा हुए हैं
यक़ीन रख कि बड़ी शान से जुदा हुए हैं
ज़रूर मौसम-ए-वहशत की आमद-आमद है
ये हम जो अपने गरेबान से जुदा हुए हैं


बुला रही है वो ना-मुम्किनात की दुनिया
इसी लिए हद-ए-इमकान से जुदा हुए हैं
सभी ज़मान-ओ-मकाँ हम से दूर जा पहुँचे
वो एक पल कि तिरे ध्यान से जुदा हुए हैं


विसाल चाहती हैं हम से मुश्किलें क्या क्या
बस एक लम्हा-ए-आसान से जुदा हुए हैं
ये फ़ैसला था कि जाएँगे रूह से मिलने
तो पहले जिस्म के सामान से जुदा हुए हैं


96362 viewsghazalHindi