बोझ कोई सर पर लेते हैं

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
बोझ कोई सर पर लेते हैं
इक इल्ज़ाम ही धर लेते हैं
हम कोई नक़्क़ाद नहीं हैं
थोड़ी उँगली कर लेते हैं


रोज़ा रखने से कुछ पहले
पेट में पानी भर लेते हैं
छत में इक सूराख़ नहीं है
दीवारों से दर लेते हैं


पंखे में हाथ आ सकता है
और ज़रा ऊपर लेते हैं
चलते रहते हैं घर बैठे
रस्ते भर का डर लेते हैं


काफ़ी देर से जाग रहे हैं
अब थोड़ा सा मर लेते हैं
देखें आँख पता पाती है
ख़्वाब से इक मंज़र लेते हैं


78773 viewsghazalHindi