चाक पर गिर्या-कुनाँ ऐसे मिरी ख़ाक हुई

By tasnim-abbas-quraishiMarch 1, 2024
चाक पर गिर्या-कुनाँ ऐसे मिरी ख़ाक हुई
मातमी दस्त-ए-हुनर आँख भी नमनाक हुई
फ़र्श पर चाक घुमाया गया किस की ख़ातिर
ग़ैर-मा'मूली सी आहट सर-ए-अफ़्लाक हुई


कूज़ा-गर देख कि हैरान है तख़्लीक़ अपनी
सोच के चाक से सूरत कहीं चालाक हुई
मेरी 'उर्यानी का हल ख़ूब निकाला उस ने
चाक की ख़ाक ही आख़िर मिरी पोशाक हुई


कूज़ा-गर शर्म से 'तसनीम' है पानी पानी
इस क़दर ख़ाक मिरी चाक पे बेबाक हुई
49411 viewsghazalHindi