चारों तरफ़ है फैली हुई तीरगी तो क्या

By abu-hurrairah-abbasiSeptember 2, 2024
चारों तरफ़ है फैली हुई तीरगी तो क्या
आती नहीं है घर में मिरे रौशनी तो क्या
हर रोज़ ज़र्ब देते हैं अपने नफ़स को हम
लेकिन ये छोड़ता ही नहीं काफ़िरी तो क्या


मस्जिद में की नमाज़ अदा फिर पिए दो जाम
नेकी के साथ साथ है थोड़ी बदी तो क्या
ऐ साक़िया मैं जल्द ही बदलूँगा मै-कदा
बुझती नहीं है मेरी यहाँ तिश्नगी तो क्या


इतना भी कम है क्या कि किया उस ने कुछ कलाम
कहने की थी जो बात नहीं भी कही तो क्या
जो चल रहा है चलने दो उन को नहीं ख़याल
मुर्दा-ज़मीर क़ौम कभी मर गई तो क्या


42605 viewsghazalHindi