चैन पड़ता नहीं है सोने में

By ehsas-muradabadiOctober 29, 2020
चैन पड़ता नहीं है सोने में
सूइयाँ तो नहीं बिछौने में
चेहरा अश्कों से यूँ भिगोने में
क्या सुकूँ मिल रहा है रोने में


इक नज़र का सवाल होता है
इख़्तिलाफ़ात ख़त्म होने में
आप इशरत-पसंद क्या जानें
वो जो लज़्ज़त है ज़ख़्म धोने में


कौन पौदे सदाक़तों के लगाए
दिन लगेंगे दरख़्त होने में
एक मजबूर की हँसी देखी
फ़र्क़ क्या रह गया था रोने में


कुछ तो है क़द्र-ए-मुश्तरक 'एहसास'
उन को हँसने में मेरे रोने में
31951 viewsghazalHindi