चमक जो अब के बढ़ी है सराब में कुछ और

By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
चमक जो अब के बढ़ी है सराब में कुछ और
इज़ाफ़ा होना है शायद 'अज़ाब में कुछ और
मिज़ाज ख़ुश्बू का मेरी समझ से बाहर है
वो हर-सिंगार में कुछ है गुलाब में कुछ और


हमारी नस्ल मोहब्बत की बात क्या जाने
हमें पढ़ाया गया है निसाब में कुछ और
जो ज़र्द पत्ते मिले हैं वही ग़नीमत हैं
कहो हवा से कि देखे न ख़्वाब में कुछ और


वो मेरे नाम इक-इक साँस करने वाला था
लिखा हुआ है मगर इंतिसाब में कुछ और
79244 viewsghazalHindi