चमकती हुई धूप तेज़ी से निकली

By zehra-nigaahMarch 1, 2024
चमकती हुई धूप तेज़ी से निकली
गुज़रती हुई बारिशों को बुलाने
हवाओं ने ज़िद की कि हम भी चलेंगे
लगीं ठंडकें अपने पैकर सजाने


मिली थी ख़बर मौसमों को कहीं से
किसी कुंज-ए-गुलशन में हैं दो दिवाने
वो बरसों के बा'द आज यकजा हुए हैं
जो बीती है इक दूसरे को सुनाने


दरख़्तों ने झुक झुक के ता'ज़ीम बख़्शी
बढ़े सब्ज़ा-ओ-गुल भी आँखें बिछाने
कभी उन के चेहरों को बारिश ने चूमा
कभी उन का दामन बसाया सबा ने


कभी उन की आँखों में सूरज ने झाँका
कभी डाल दी उन पे चादर घटा ने
95162 viewsghazalHindi