चंद बर्तन हैं चारपाई है
By tuaqeer-chughtaiMarch 1, 2024
चंद बर्तन हैं चारपाई है
यही दौलत यही कमाई है
प्यार करते हैं ज़िंदगी तुझ से
जानते हैं कि तू पराई है
ज़ख़्म निखरेगा दर्द बोलेगा
उस की ख़ुशबू कहीं से आई है
उस को तोड़ो कि अब उसे फाँदो
तुम ने दीवार ख़ुद बनाई है
ख़्वाब कैसे कोई मुकम्मल हो
नींद आई न मौत आई है
ऐ मोहब्बत वहाँ ख़ुदा ही नहीं
तू ने गर्दन जहाँ झुकाई है
फ़ोन पर हो कि सिर्फ़ चाय पर
क्या मिलन है ये क्या जुदाई है
कैसे 'तौक़ीर' शा'इरी हो भला
जब वफ़ा है न बेवफ़ाई है
यही दौलत यही कमाई है
प्यार करते हैं ज़िंदगी तुझ से
जानते हैं कि तू पराई है
ज़ख़्म निखरेगा दर्द बोलेगा
उस की ख़ुशबू कहीं से आई है
उस को तोड़ो कि अब उसे फाँदो
तुम ने दीवार ख़ुद बनाई है
ख़्वाब कैसे कोई मुकम्मल हो
नींद आई न मौत आई है
ऐ मोहब्बत वहाँ ख़ुदा ही नहीं
तू ने गर्दन जहाँ झुकाई है
फ़ोन पर हो कि सिर्फ़ चाय पर
क्या मिलन है ये क्या जुदाई है
कैसे 'तौक़ीर' शा'इरी हो भला
जब वफ़ा है न बेवफ़ाई है
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