चश्मा-ए-शीरीं अलग सागर अलग

By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
चश्मा-ए-शीरीं अलग सागर अलग
आओ बैठें भीड़ से हट कर अलग
रू-नुमाई के लिए आ जाओ तुम
मेरी आँखों में है इक मंज़र अलग


हम को सज्दे से कहाँ इंकार है
पर यहाँ तो धड़ अलग है सर अलग
चेहरा दिल का आइना है क्या कहा
आदमी अन्दर अलग बाहर अलग


वो भी था इस ख़ुशनुमा तस्वीर में
हो गए सब रंग एक-इक कर अलग
घूरते हैं ना-मुकम्मल शे'र इधर
और उधर हैं आप बन-ठन कर अलग


71152 viewsghazalHindi