चेहरे जब दिल की स्याही का पता देते हैं लोग आईने मुक़ाबिल से हटा देते हैं हौसले हुस्न-ए-ख़ुदी और बढ़ा देते हैं पत्थरो आओ कि आईने सदा देते हैं आप जिस शहर के क़ातिल थे उसी शहर के लोग जाने क्यों आप को जीने की दुआ देते हैं 'मौज' अफ़्कार में डूबे हुए मेरे अशआ'र कम से कम उन को तो आईना दिखा देते हैं