चेहरे तक उन के मस्त गई बे-ख़बर गई
By abdussalam-nadviMay 19, 2024
चेहरे तक उन के मस्त गई बे-ख़बर गई
जब जब गई निगाह ब-नौ-ए-दिगर गई
दुश्वार हो गए हैं इशारे भी ज़ो'फ़ में
इस काम से भी अब तो हमारी नज़र गई
सामान-ए-ग़म भी हिज्र की शब मुंतशिर हुआ
तड़पे तो आँसुओं की लड़ी भी बिखर गई
गो जिस की जुस्तुजू थी वो यूसुफ़ नहीं मिला
लेकिन मिरी निगाह से दुनिया गुज़र गई
यूसुफ़ को सस्ते दाम ज़ुलेख़ा ने ले लिया
तक़दीर थी कि हुस्न की क़ीमत ठहर गई
जब जब गई निगाह ब-नौ-ए-दिगर गई
दुश्वार हो गए हैं इशारे भी ज़ो'फ़ में
इस काम से भी अब तो हमारी नज़र गई
सामान-ए-ग़म भी हिज्र की शब मुंतशिर हुआ
तड़पे तो आँसुओं की लड़ी भी बिखर गई
गो जिस की जुस्तुजू थी वो यूसुफ़ नहीं मिला
लेकिन मिरी निगाह से दुनिया गुज़र गई
यूसुफ़ को सस्ते दाम ज़ुलेख़ा ने ले लिया
तक़दीर थी कि हुस्न की क़ीमत ठहर गई
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