छूट रहा है घर जैसा कुछ

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
छूट रहा है घर जैसा कुछ
पीठ पे है बिस्तर जैसा कुछ
नुक़्तों को हर ढंग से बरता
नहीं बना मंज़र जैसा कुछ


कल का सवेरा एक पहेली
नींद से पहले डर जैसा कुछ
दो रूहें दो जिस्म मिला कर
बन जाता है घर जैसा कुछ


गुल ही उछाला होगा तुम ने
मुझे लगा पत्थर जैसा कुछ
इस लम्हे का वुजूद हमारा
डोलते फिरते पर जैसा कुछ


98872 viewsghazalHindi