दर्द है रंज है कुल्फ़त है अलम है ग़म है
By qamar-malalFebruary 28, 2024
दर्द है रंज है कुल्फ़त है अलम है ग़म है
न ख़ुदा साथ न हमराह सनम है ग़म है
दर-ब-दर मुझ को ज़माने में लिए फिरता है
ये जो पैवस्ता मिरे साथ शिकम है ग़म है
राहत-ए-ग़म से रखा जिस ने सदा आसूदा
इन दिनों वो भी तो माइल-ब-करम है ग़म है
अब तो ताऊस ही अव्वल है सिनाँ आख़िर है
दौर-ए-हाज़िर में ये तक़दीर-ए-उमम है ग़म है
अहल-ए-दरबार से बेज़ार था इक तू ही 'मलाल'
अब तिरा सर भी वहाँ सुनते हैं ख़म है ग़म है
न ख़ुदा साथ न हमराह सनम है ग़म है
दर-ब-दर मुझ को ज़माने में लिए फिरता है
ये जो पैवस्ता मिरे साथ शिकम है ग़म है
राहत-ए-ग़म से रखा जिस ने सदा आसूदा
इन दिनों वो भी तो माइल-ब-करम है ग़म है
अब तो ताऊस ही अव्वल है सिनाँ आख़िर है
दौर-ए-हाज़िर में ये तक़दीर-ए-उमम है ग़म है
अहल-ए-दरबार से बेज़ार था इक तू ही 'मलाल'
अब तिरा सर भी वहाँ सुनते हैं ख़म है ग़म है
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