देखते रहिए दूर जाते हुए

By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
देखते रहिए दूर जाते हुए
यही होना था आज़माते हुए
जाने हो कौन कैसी हालत में
काँपता हूँ दिया जलाते हुए


एक दिन राख हो गए दोनों
आग को आग से बुझाते हुए
मर के ज़िंदा बचे हो कितनी बार
याद रखना था चोट खाते हुए


वो जो पहला चराग़ था घर का
बुझ गया रौशनी बनाते हुए
'उम्र की रेल थी रुकी ही नहीं
सब हुए दूर पास आते हुए


मैं सितारा बना न तुम हुए ख़ाक
डर था कैसा गले लगाते हुए
35510 viewsghazalHindi