धड़कन में निहाँ इश्क़ के आज़ार से पहले

By asrar-akbarabadiJuly 31, 2020
धड़कन में निहाँ इश्क़ के आज़ार से पहले
इक और हसीं ग़म है ग़म-ए-यार से पहले
फ़ितरत की तमन्ना का जो दर्पन हैं वो नग़्मे
गाती हैं हवाएँ दिल-ए-फ़नकार से पहले


मौसम ने तो बादल के अभी बाँधे हैं घुंघरू
दिल झूम उठा है मिरा झंकार से पहले
हम अपने ख़यालों में थे कुछ भी नहीं समझे
मौजों में तो हलचल सी थी मंजधार से पहले


सोचा ही था सज्दे में झुकें ख़ुद मिरी आँखें
इरफ़ान-ए-ख़ुदा हो गया दीदार से पहले
गर आप को तारीख़ समझनी है हमारी
शाख़-ए-गुल-ए-तर देखिए तलवार से पहले


बादल भी बनाने का हुनर सीख लो 'असरार'
सहरा भी मिलेगा रह-ए-दिल-दार से पहले
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