ढूँड रहा है फ़रंग ऐश-ए-जहाँ का दवाम

By allama-iqbalJune 3, 2024
ढूँड रहा है फ़रंग ऐश-ए-जहाँ का दवाम
वाए-तमन्ना-ए-ख़ाम वाए-तमन्ना-ए-ख़ाम
पीर-ए-हरम ने कहा सुन के मेरी रूएदाद
पुख़्ता है तेरी फ़ुग़ाँ अब न इसे दिल में थाम


था अरिनी गो कलीम मैं अरिनी गो नहीं
उस को तक़ाज़ा रवा मुझ पे तक़ाज़ा हराम
गरचे है इफ़शा-ए-राज़ अहल-ए-नज़र की फ़ुग़ाँ
हो नहीं सकता कभी शेवा-ए-रिंदाना आम


हल्क़ा-ए-सूफ़ी में ज़िक्र बे-नम ओ बे-सोज़-ओ-साज़
मैं भी रहा तिश्ना-काम तू भी रहा तिश्ना-काम
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम


आह कि खोया गया तुझ से फ़क़ीरी का राज़
वर्ना है माल-ए-फ़क़ीर सल्तनत-ए-रूम-ओ-शाम
75350 viewsghazalHindi