दिखाते हैं जो ये सनम देखते हैं ख़ुदा की ख़ुदाई को हम देखते हैं ये हैवान है दस्त-ए-तालेअ' पे भारी नए जानवर का क़दम देखते हैं ज़न-ओ-ख़्वेश-ओ-फ़र्ज़ंद-ओ-दौलत से छूटे न देखे कोई जो कि हम देखते हैं शहंशाह हम हैं दिलों पर हैं हाकिम गदा तुम को ऐ ज़ी-हशम देखते हैं फ़क़त हाथ काले नहीं बल्कि मुनइ'म दिलों पर भी दाग़-ए-वरम देखते हैं कहाँ तक उतरती है सीने पे मेरे तिरी तेग़-ए-अबरू का दम देखते हैं भगाती है मार-ए-सियह गो कि हम को तिरी ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का सम देखते हैं ज़मीं पर भी देता नहीं चैन हम को फ़लक तुझ से जौर-ओ-सितम देखते हैं दुर-ए-अश्क से मेरा भरती है दामन सख़ी तुझ को ऐ चश्म-ए-नम देखते हैं न रंज और न शादी तवस्सुत है हम को कि ऐश-ओ-अलम भी बहम देखते हैं किसी माह ने उस को धोका दिया है हम 'अख़्तर' को क्यूँ पुर-अलम देखते हैं
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