दिल चुरा कर नज़र चुराई है
By dagh-dehlviOctober 29, 2020
दिल चुरा कर नज़र चुराई है
लुट गए लुट गए दुहाई है
she stole my heart and stole away
i have been plundered sad to say
एक दिन मिल के फिर नहीं मिलते
किस क़यामत की ये जुदाई है
meet for a day
then never meet
how dreadful 'tis to part this way
ऐ असर कर न इंतिज़ार-ए-दुआ
माँगना सख़्त बे-हयाई है
o consequence
wait not for prayers
it's shameful if you beg this way
मैं यहाँ हूँ वहाँ है दिल मेरा
ना-रसाई अजब रसाई है
though i am here my heart's with her
fulfilled yet unfulfilled i stay
इस तरह अहल-ए-नाज़ नाज़ करें
बंदगी है कि ये ख़ुदाई है
these beauties who put on such airs
are they divine or human
pray?
पानी पी पी के तौबा करता हूँ
पारसाई सी पारसाई है
with water
i swear abstinence
such piety do i portray
वा'दा करने का इख़्तियार रहा
बात करने में क्या बुराई है
to vow or not you can decide
what harm is in conversing say?
कब निकलता है अब जिगर से तीर
ये भी क्या तेरी आश्नाई है
when does your arrow leave my heart?
what bond for you does this display?
'दाग़' उन से दिमाग़ करते हैं
नहीं मालूम क्या समाई है
daag acts with her conceitedly
who knows what holds him in its sway
लुट गए लुट गए दुहाई है
she stole my heart and stole away
i have been plundered sad to say
एक दिन मिल के फिर नहीं मिलते
किस क़यामत की ये जुदाई है
meet for a day
then never meet
how dreadful 'tis to part this way
ऐ असर कर न इंतिज़ार-ए-दुआ
माँगना सख़्त बे-हयाई है
o consequence
wait not for prayers
it's shameful if you beg this way
मैं यहाँ हूँ वहाँ है दिल मेरा
ना-रसाई अजब रसाई है
though i am here my heart's with her
fulfilled yet unfulfilled i stay
इस तरह अहल-ए-नाज़ नाज़ करें
बंदगी है कि ये ख़ुदाई है
these beauties who put on such airs
are they divine or human
pray?
पानी पी पी के तौबा करता हूँ
पारसाई सी पारसाई है
with water
i swear abstinence
such piety do i portray
वा'दा करने का इख़्तियार रहा
बात करने में क्या बुराई है
to vow or not you can decide
what harm is in conversing say?
कब निकलता है अब जिगर से तीर
ये भी क्या तेरी आश्नाई है
when does your arrow leave my heart?
what bond for you does this display?
'दाग़' उन से दिमाग़ करते हैं
नहीं मालूम क्या समाई है
daag acts with her conceitedly
who knows what holds him in its sway
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