दिल को दिल से एक दिन आख़िर जुदा होना ही था
By aftab-ranjhaMay 22, 2024
दिल को दिल से एक दिन आख़िर जुदा होना ही था
है गिला किस बात का उन को ख़फ़ा होना ही था
कौन सुनता है यहाँ ख़ामोश चीख़ों की नवा
मेरी आहों को भी यूँही बे-सदा होना ही था
क्या मुरव्वत थी कि सारे शहर से उठती गई
इक तिरा ये वस्फ़ लोगों में रवा होना ही था
दो घड़ी हम को मिली है दो घड़ी मोहलत की है
ज़िंदगी की क़ैद से आख़िर रिहा होना ही था
देखता हूँ जो किया तू ने 'अदू के साथ भी
ऐ निगाह-ए-यार तुझ से कुछ नया होना ही था
छोड़ कर राह-ए-सफ़र में वो तो उठ कर चल दिए
एक दिन उस बेवफ़ा को बेवफ़ा होना ही था
ज़ख़्म खाए हैं हमेशा 'बरहम' अपनी जान पर
कार-गाह-ए-दहर में सब से बुरा होना ही था
है गिला किस बात का उन को ख़फ़ा होना ही था
कौन सुनता है यहाँ ख़ामोश चीख़ों की नवा
मेरी आहों को भी यूँही बे-सदा होना ही था
क्या मुरव्वत थी कि सारे शहर से उठती गई
इक तिरा ये वस्फ़ लोगों में रवा होना ही था
दो घड़ी हम को मिली है दो घड़ी मोहलत की है
ज़िंदगी की क़ैद से आख़िर रिहा होना ही था
देखता हूँ जो किया तू ने 'अदू के साथ भी
ऐ निगाह-ए-यार तुझ से कुछ नया होना ही था
छोड़ कर राह-ए-सफ़र में वो तो उठ कर चल दिए
एक दिन उस बेवफ़ा को बेवफ़ा होना ही था
ज़ख़्म खाए हैं हमेशा 'बरहम' अपनी जान पर
कार-गाह-ए-दहर में सब से बुरा होना ही था
71931 viewsghazal • Hindi