दिल को कर देता है तस्ख़ीर समझता हूँ मैं

By adnan-asarJanuary 18, 2025
दिल को कर देता है तस्ख़ीर समझता हूँ मैं
'इश्क़ को पाँव की ज़ंजीर समझता हूँ मैं
अब मिरे ख़्वाब में आने की इजाज़त है तुम्हें
अब तो हर ख़्वाब की ता'बीर समझता हूँ मैं


रूह अब तक है मो'अत्तर गुल-ए-ताज़ा की तरह
'इश्क़ को मुश्क-ए-अबद-गीर समझता हूँ मैं
तू अगर मुझ को पुकारे तो ठहरता ही नहीं
एक लम्हे को भी ताख़ीर समझता हूँ मैं


11917 viewsghazalHindi