दिल में जब कभी तेरी याद सो गई होगी चाँद बुझ गया होगा रात रो पड़ी होगी क्या ख़बर कि ऐसे में तुम ने क्या किया होगा मुझ से तर्क-ए-उल्फ़त की बात जब चली होगी बे-क़रार दुनिया में तेरे लौट आने तक जागती तमन्ना भी थक के सो चुकी होगी कौन ऐसे क़िस्सों का इख़्तिताम चाहेगा जिन में तेरी ज़ुल्फ़ों की बात आ गई होगी आप क्यूँ परेशाँ हैं आप तो नहीं रोए आप की निगाहों में मेरी बेबसी होगी