दिल मोहब्बत से भर न जाए कहीं
By umood-abrar-ahmadMarch 1, 2024
दिल मोहब्बत से भर न जाए कहीं
तू भी यक-दम मुकर न जाए कहीं
थाम लेती हूँ ख़ुद को पल पल मैं
दिल ये अश्कों से भर न जाए कहीं
मैं ज़माने से थक चुकी यारो
अब ये मेरी नज़र न जाए कहीं
आने वाले ख़िज़ाँ के मौसम में
हार तन्हा शजर न जाए कहीं
आँख पुर-नम है लब पे ख़ामोशी
मौज-ए-दरिया उतर न जाए कहीं
इन तग़ाफ़ुल भरी अदाओं से
मेरी हस्ती बिखर न जाए कहीं
कोई उस को मिरी ख़बर दे दे
वक़्त जल्दी गुज़र न जाए कहीं
तू भी यक-दम मुकर न जाए कहीं
थाम लेती हूँ ख़ुद को पल पल मैं
दिल ये अश्कों से भर न जाए कहीं
मैं ज़माने से थक चुकी यारो
अब ये मेरी नज़र न जाए कहीं
आने वाले ख़िज़ाँ के मौसम में
हार तन्हा शजर न जाए कहीं
आँख पुर-नम है लब पे ख़ामोशी
मौज-ए-दरिया उतर न जाए कहीं
इन तग़ाफ़ुल भरी अदाओं से
मेरी हस्ती बिखर न जाए कहीं
कोई उस को मिरी ख़बर दे दे
वक़्त जल्दी गुज़र न जाए कहीं
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